नये साल में गीत लिखें कुछ नये भाव के ऐसे हर शाखा पर पत्र-पुष्प नव ऋतु बसंत में जैसे
ख़ुशियाँ हों हर घर आँगन में प्रेम प्यार हो मन में श्रद्धा भाव रहे पूजा में धैर्य, ध्यान-चिंतन में
सोचें, दुखियों के दुख हम कब मिल-बाँटेंगे, कैसे? नये साल में ….
धर्म एक हो मानवता का फूले फले निरन्तर जाति-धर्म, नस्लों, रंगों का रहे न कोई अंतर
कब तक मूक सहेंगे भेदभाव का तांडव ऐसे नये साल में …….
युवा बनें सुशिक्षित मानव त्यागें भय-आडम्बर रखें नियंत्रण खुद अपना अपनी धरती, अम्बर पर
चढ़ें न मन पर रंग कभी इस जग के ऐसे वैसे
नये साल में गीत लिखें कुछ नये भाव के ऐसे ॥
-विनिता तिवारी, अमेरिका |