माँ
व्यर्थ हे, सारी पूजा-पाठ, जब तक, उपेक्षित हे; घर में - माँ।
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दर्शन
नहीं होंगे शिव के दर्शन, इन गुफाओ, शिवालयो में; ना ही दूध और दही को व्यर्थ करने में बन गणपति जेसा पुत्र, तो शिव स्वरूप-पिता, पार्वती स्वरूपा- माँ, घर में ही होंगे दर्शन।
- विनोद बापना ई-मेल: shubhammarble@bsnl.in |