आया कुछ पल बिता के चला गया बादल छींटे बरसा के चला गया
सिमट गई घड़ियाँ यादों के पिंजरे में कैसे कैसे ख़्वाब सजा के चला गया
क़ैद करके ले गया वो रूह मेरी चैन पल भर में चुरा के चला गया
उतरता नहीं शराबी आँखों का नशा जैसे कोई मयखाना थमा के चला गया
भूलती नहीं चाँदनी रात की मुलाक़ात दर्द सीने में ‘दीवाना' बैठा के चला गया
"दीवाना रायकोटी" (सोम नाथ गुप्ता) न्यूज़ीलैंड
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