हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो। - सैयद अमीर अली मीर।
भारत प्यारा (काव्य)  Click to print this content  
Author:आशीष यादव

इस मिट्टी से उस मिट्टी तक जीवन सफर हमारा हो।
हम रहें चाहे जहाँ भी पर दिल में भारत प्यारा हो।।
इसकी नदियां इसके झरने,
इसके मौसम के क्या कहने!
उत्तर में खड़ा हिमालय है,
दक्षिण में सागर की लहरें।
मेरी नजरों को बस जीवन भर यही नजारा हो।
हम रहें चाहे जहाँ भी पर दिल में भारत प्यारा हो।।
फूलों का यह गुलशन है,
रंग बिरंगे फूल खिले हैं।
हवा बिखेरे खुशबू इसकी,
महकती हुई धूल उड़े है।
इसके गुलशन में बस हरदम यूं ही बहार हो।
हम रहें चाहे जहाँ भी पर दिल में भारत प्यारा हो।।

-आशीष यादव
ई-मेल: asheesh9386@gmail.com

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