कब तक बोझ सम्भाला जाये युद्ध कहाँ तक टाला जाये । दोनों ओर लिखा हो भारत सिक्का वही उछाला जाये । इस बिगडैल पड़ोसी को तो फिर शीशे मे ढाला जाये ।
तू भी है राणा का वंशज फेंक जहाँ तक भाला जाये । तेरे मेरे दिल पर ताला राम करें ये ताला जाये । 'वाहिद' के घर दीप जले तो मंदिर तलक उजाला जाये ।
- वाहिद अली 'वाहिद'
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