अवशेष
गोली बारूद धुंआ चीत्कार रक्तरंजित गर्द में डूबा अन्धकार शून्यता इस पार शून्यता उस पार बिछ गयी लाशें हदों के इस पार हदों के उस पार बस रहे शेष अनुत्तरित प्रश्नों को बंद पलकों में समेटे क्षत-विक्षित शवों के ख़ामोश अवशेष
-सुशील सरना जयपुर, राजस्थान ई-मेल: sarnasushil@yahoo.com
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अंतिम साँझ
लिख लेने दो एक अंतिम साँझ मुझे साँझ के पन्नों पर अभिलाषाओं की वेदी पर साँसों की देहरी पर व्योम के क्षितिज़ पर स्मृति के बिम्बों पर मौन की गुहा में स्पर्शों की गंध पर श्वासों के आलिंगन में अन्तस् के दर्पण पर बिंदु के अस्तित्व में लिख लेने दो मुझे प्राणों में लीन प्राणों की अंतिम साँझ----!
-सुशील सरना जयपुर, राजस्थान ई-मेल: sarnasushil@yahoo.com |