लीडरी मुझे दिला दो राम, चले जिससे मेरा भी काम। कुछ ही दिन चलकर दलदल में फंस जाती है नाव, भूख लगे पर दूना जोर पकड़ते मन के भाव-- कि मैं भी कर डालूँ कुछ काम, लीडरी मुझे दिला दो राम ॥1॥
हिन्दू-मुस्लिम-प्रेम-भाव का करूँ गर्म बाजार, देश-भक्ति का मेरे ही सिर रख दो दारमदार-- लगा दूँ लेक्चरों का लाम, लीडरी मुझे दिला दो राम ॥2॥
धर्म कर्म की धूम मचाकर कलि को कर दूँ चूर, पृथ्वी पर ही स्वर्ग दिखा दूँ, करू दिलद्दर दूर-- दाम के दाम, नाम का नाम ! लीडरी मुझे दिलो दो राम ॥3॥
- पं० बदरीनाथ भट्ट [1924]
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