भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
कविता-कविता (काव्य)  Click to print this content  
Author:कौतुक बनारसी | हास्य कविता

कुछ जीत हुई, कुछ हार हुई
              दिन-रात रटें कविता-कविता
कुछ आन रही, कुछ शान रही
             हर बात रटें कविता-कविता
हर मौसिम में सरदी गरमी
             बरसात, रटें कविता-कविता
उफ, जात रहे न रहे जग में,
              कमजात रटें कविता-कविता

- कौतुक बनारसी

 

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