Important Links
काव्य |
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है। |
Articles Under this Category |
मलूकदास के दोहे - मलूकदास |
भेष फकीरी जे करें, मन नहिं आवै हाथ । |
more... |
हिंदी मातु हमारी - प्रो. मनोरंजन - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
प्रो. मनोरंजन जी, एम. ए, काशी विश्वविद्यालय की यह रचना लाहौर से प्रकाशित 'खरी बात' में 1935 में प्रकाशित हुई थी। |
more... |
भगत सिंह को पसंद थी ये ग़ज़ल - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
उन्हें ये फिक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है |
more... |
दोहे और सोरठे - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय | Bharatendu Harishchandra Biography Hindi |
है इत लाल कपोल ब्रत कठिन प्रेम की चाल। |
more... |
काली माता - स्वामी विवेकानंद |
छिप गये तारे गगन के, |
more... |
कब लोगे अवतार हमारी धरती पर - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
फैला है अंधकार हमारी धरती पर |
more... |
मौन ओढ़े हैं सभी | राजगोपाल सिंह का गीत - राजगोपाल सिंह |
मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियाँ होंगी ज़रूर |
more... |
ज्ञान का पाठ - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
डॉ० कलाम को समर्पित.... |
more... |
राकेश पांडेय की कवितायें - राकेश पांडेय |
दिल्ली में सावन |
more... |
हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
मैं जीर्ण-साज बहु छिद्र आज, |
more... |
भगतसिंह पर लिखी कविताएं - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
इन पृष्ठों में भगतसिंह पर लिखी काव्य रचनाओं को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वास है आपको सामग्री पठनीय लगेगी। |
more... |
हास्य दोहे | काका हाथरसी - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi |
अँग्रेजी से प्यार है, हिंदी से परहेज, |
more... |
मैं और कुछ नहीं कर सकता था - विष्णु नागर |
मैं क्या कर सकता था |
more... |
सोचेगी कभी भाषा - दिविक रमेश |
जिसे रौंदा है जब चाहा तब |
more... |
चाहता हूँ देश की.... - रामावतार त्यागी | Ramavtar Tyagi |
मन समर्पित, तन समर्पित |
more... |
पुरखों की पुण्य धरोहर - रामावतार त्यागी | Ramavtar Tyagi |
जो फूल चमन पर संकट देख रहा सोता |
more... |
हिंदी जन की बोली है - गिरिजाकुमार माथुर | Girija Kumar Mathur |
एक डोर में सबको जो है बाँधती |
more... |
रंग दे बसंती चोला गीत का इतिहास - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
'रंग दे बसंती चोला' अत्यंत लोकप्रिय देश-भक्ति गीत है। यह गीत किसने रचा? इसके बारे में बहुत से लोगों की जिज्ञासा है और वे समय-समय पर यह प्रश्न पूछते रहते हैं। |
more... |
मातृ-मन्दिर में - सुभद्रा कुमारी |
वीणा बज-सी उठी, खुल गये नेत्र |
more... |
दिन अच्छे आने वाले हैं - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही |
जब दुख पर दुख हों झेल रहे, बैरी हों पापड़ बेल रहे, |
more... |
हौसला - देवेन्द्र कुमार मिश्रा |
कागज की नाव बही |
more... |
नीति के दोहे - कबीर, तुलसी व रहीम |
कबीर के नीति दोहेसाई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय । |
more... |
हिंदी हम सबकी परिभाषा - डा० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी |
कोटि-कोटि कंठों की भाषा, |
more... |
अनुपम भाषा है हिन्दी - श्रीनिवास |
अनुपम भाषा है हिन्दी |
more... |
किसी के दुख में .... | ग़ज़ल - ज्ञानप्रकाश विवेक | Gyanprakash Vivek |
किसी के दुख में रो उट्ठूं कुछ ऐसी तर्जुमानी दे |
more... |
कबीर की हिंदी ग़ज़ल - कबीरदास | Kabirdas |
क्या कबीर हिंदी के पहले ग़ज़लकार थे? यदि कबीर की निम्न रचना को देखें तो कबीर ने निसंदेह ग़ज़ल कहीं है: |
more... |
कबीर दोहे -3 - कबीरदास | Kabirdas |
(41) |
more... |
एक भाव आह्लाद हो ! - डॉ० इंद्रराज बैद 'अधीर' |
थकी-हारी, मनमारी, सरकारी राज भाषा है, |
more... |
मैं अपनी ज़िन्दगी से | ग़ज़ल - कृष्ण सुकुमार | Krishna Sukumar |
मैं अपनी ज़िन्दगी से रूबरू यूँ पेश आता हूँ |
more... |
भगत सिंह - गीत - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
फांसी का झूला झूल गया मर्दाना भगत सिंह । |
more... |
शहीद भगत सिंह - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
भारत के लिये तू हुआ बलिदान भगत सिंह । |
more... |
भरोसा इस क़दर मैंने | ग़ज़ल - कृष्ण सुकुमार | Krishna Sukumar |
भरोसा इस क़दर मैंने तुम्हारे प्यार पर रक्खा |
more... |
हिन्दी भारत की भाषा - श्रीमती रेवती |
भाषा हो या हो राजनीति अब और गुलामी सहय नहीं, |
more... |
मैं दिल्ली हूँ | पाँच - रामावतार त्यागी | Ramavtar Tyagi |
प्राणों से हाथ पड़ा धोना, मेरे कितने ही लालों को । |
more... |
मक़सद - राजगोपाल सिंह |
उनका मक़सद था |
more... |
हमारी सभ्यता - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt |
शैशव-दशा में देश प्राय: जिस समय सब व्याप्त थे, |
more... |
मेरी मातृ भाषा हिंदी - सुनीता बहल |
मेरी मातृ भाषा है हिंदी, |
more... |
आजकल हम लोग ... | ग़ज़ल - राजगोपाल सिंह |
आजकल हम लोग बच्चों की तरह लड़ने लगे |
more... |
आओ ! आओ ! भारतवासी । - बाबू जगन्नाथ |
आओ ! आओ ! भारतवासी । |
more... |
हिंदी-प्रेम - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi |
हिंदी-हिंदू-हिंद का, जिनकी रग में रक्त |
more... |
हिन्दी गान - महेश श्रीवास्तव |
भाषा संस्कृति प्राण देश के इनके रहते राष्ट्र रहेगा। |
more... |
जयरामजी की - प्रदीप मिश्र |
जयरामजी की
|
more... |
उजड़ा चमन सा वतन देखता हूँ - उत्कर्ष त्रिपाठी |
न तन देखता हूँ , न मन देखता हूँ |
more... |
बीस साल बाद - सुदामा पांडेय धूमिल |
|
more... |
बचकर रहना इस दुनिया के लोगों की परछाई से - विजय कुमार सिंघल |
बचकर रहना इस दुनिया के लोगों की परछाई से |
more... |
जंगल-जंगल ढूँढ रहा है | ग़ज़ल - विजय कुमार सिंघल |
जंगल-जंगल ढूँढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को |
more... |
नहीं कुछ भी बताना चाहता है | ग़ज़ल - डॉ शम्भुनाथ तिवारी |
नहीं कुछ भी बताना चाहता है |
more... |
परिंदे की बेज़ुबानी - डॉ शम्भुनाथ तिवारी |
बड़ी ग़मनाक दिल छूती परिंदे की कहानी है! |
more... |
भिखारी| हास्य कविता - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
एक भिखारी दुखियारा |
more... |