भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है। - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी।

कवि

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

तुम्हारी कलम में
वो 'पीर' नहीं।
तुमने शब्द गढ़े,
जीये नहीं।
तुम कवि तो हुए
कबीर नहीं!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

 

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