भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
चंदा मामा, दौड़े आओदूध कटोरा भरकर लाओ।उसे प्यार से मुझे पिलाओमुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ।
मैं तेरा मृग छौना लूँगाउसके साथ हँसूँ-खेलूँगा।उसकी उछल-कूद देखूँगाउसको चाटूँगा, चूमूँगा।
-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
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