आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी न होनी चाहिए। - महावीर प्रसाद द्विवेदी।
जूझना बुज़दिली से बेहतर है (काव्य)    Print this  
Author:विजय कुमार सिंघल

जूझना बुज़दिली से बेहतर है
सनसनी बेहिसी से बेहतर है

खामुशी गर सितम बढ़ाती हो
बोलना खामुशी से बेहतर है

चोट खाई क़लम को रोने दो
शायरी बे हिसी से बेहतर है

यह रुला कर सुकून देता है
तेरा ग़म हर हँसी से बेहतर है

ढाँपती है हमारे अश्कों को
तीरगी रोशनी से बेहतर है

- विजयकुमार सिंघल

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