काश कि हम जंगल में रहते
पेड़ों पर झटपट चढ़ जाते
आम पेड़ से तोड़ के खाते
बाघ और भालू दोस्त बनाते
बंदर से भी यारी होती
ये यारी भी प्यारी होती
तोता मैना ,बगुला मोर
हम सब खूब मचाते शोर
-रवि रंजन गोस्वामी
ई-मेल: goswamirr@hotmail.com
काश हम जंगल में रहते (बाल-साहित्य ) |
काश कि हम जंगल में रहते
पेड़ों पर झटपट चढ़ जाते
आम पेड़ से तोड़ के खाते
बाघ और भालू दोस्त बनाते
बंदर से भी यारी होती
ये यारी भी प्यारी होती
तोता मैना ,बगुला मोर
हम सब खूब मचाते शोर
-रवि रंजन गोस्वामी
ई-मेल: goswamirr@hotmail.com