"इतनी उखड़ी हुई क्यों हो?"
उसका चेहरा इतना उदास कभी न था।
उसका सारा आत्म-विश्वास, उसका दर्प-अभिमान सब नदारद था।
"....Feeling embarrassed, yaar....."
उसका स्वर बहुत बुझा हुआ था।
"मगर क्यों? अभी तो online थी!"
"तभी तो---! मेरा तो अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया। मुझसे तो मेरी पहचान ही छीन ली है उसने---"
"कुछ बताओगी भी या पहेलियां ही बुझाती रहोगी!"
"देख लो, खुद ही देख लो। कैसे कमेंट्स मिले हैं मुझे।"
"वाह! बिल्कुल आदमी की तरह रंग बदलती हो --"
"देख लिया न!" कहते-कहते गिरगिट रो पड़ी।
- अमिता शर्मा, भारत।