जब जब लड़ा अभिमन्यु
हर बार वही हारा है
अपनो ने नहीं दिया साथ
गैरों ने छल से मारा है
-रमाशंकर सिंह
ई-मेल: ramashankarsingh48@gmail.com
अभिमन्यु | क्षणिका (काव्य) |
जब जब लड़ा अभिमन्यु
हर बार वही हारा है
अपनो ने नहीं दिया साथ
गैरों ने छल से मारा है
-रमाशंकर सिंह
ई-मेल: ramashankarsingh48@gmail.com