कार लेकर क्या करूँगा?
तंग उनकी है गली वह, साइकिल भी जा न पाती ।
फिर भला मै कार को बेकार लेकर क्या करूँगा?
आपने जो लेख भेजा, मैं उसे लौटा रहा हूँ ।
मानियेगा मत बुरा, कतवार लेकर क्या करूँगा?
जब मुझे तज श्रीमतीजी, आज है नैहर पधारी ।
बाप, माँ, भाई, बहिन, परिवार लेकर क्या करूंगा?
छप सकी-मेरी अभी तक एक भी कविता न जिसमें,
मैं भला ऐसा सड़ा अखबार लेकर क्या करूँगा?
मैं जनाना हूँ नहीं, दो ऊँट के मुँह में न जीरा,
ये सड़े लड् डू कहो दो चार लेकर क्या करूँगा?
-बद्रीप्रसाद पांडेय 'चोंच'
[चोंच महाकाव्य]
कवि चोंच 'हंस' उपनाम से भी प्रकाशित होते रहे हैं।
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