वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। - मैथिलीशरण गुप्त।

हमने कोशिश करके देखी | ग़ज़ल (काव्य)

Print this

Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'

हमने कोशिश करके देखी पत्थर को पिघलाने की
पत्थर कभी नहीं पिघले अब मानी बात जमाने की।

हमने कोशिश करके देखी दुश्मन यार बनाने की
दुश्मन कभी ना यार बने ये बात है सोलह आने की।

उनको भी तो आदत नाही दिल का दर्द बताने की
हमको भी आदत ना नाहक अपनापन जतलाने की ।

अपना तो है दर्द से रिश्ता भूख-गरीबी से यारी
हमने भूखों जीना सीखा आदत ना हाथ फैलाने की ।

हर मानव दुखियारा जग में कोई खुशी नही दिखता
फिर हम क्यों कोशिश भी करते अपना दर्द बताने

मिलते ही वो शुरू हो गए अपने दर्द बताने को
मेरी तो बारी ना आई अपनी बात सुनाने की ।

शायद वो मेरा हो जाता जो मैं दिल की कह पाता
होती बात है यूं क्या 'रोहित' दिल अपना समझाने की।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

Back

Posted By rajat pandey    on Monday, 23-Nov-2015-16:39
बहुत खूब.
 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश