मत पूछिये क्यों पाँव में रफ़्तार नहीं है
यह कारवाँ मज़िल का तलबग़ार नहीं है
जेबों में नहीं सिर्फ़ गरेबान में झाँको
यह दर्द का दरबार है, बाज़ार नहीं है।
सुर्ख़ी में छपी है, पढ़ो मीनार की लागत
फुटपाथ की हालत से सरोकार नहीं है
जो आदमी की साफ़ सही शक्ल दिखा दे
वो आईना माहौल को दरकार नहीं है
सब हैं तमाशबीन, लगाये हैं दूरबीन
घर फूँकने को, एक भी तैयार नहीं है।
-शेरजंग गर्ग