उन्हें आज आई है कैसी जवानी, सभी कह रहे हैं उन्हीं की कहानी ।
लचकदार कानून उनके नहीं है, बनी है यह जेबी घड़ीकी कमानी ।
नहीं दूध पीने को मिलता अगर हो, तो कल का तो मिलता है पीने को पानी ।
सभी कुछ निछावर किया उनपे मैंने, उन्होंने जो तारीफ मेरी बखानी ।
हुए छेद हैं फेफड़े में हजारों, यही है मुहब्बत की ‘बेढब' निशानी।
- ‘बेढब' बनारसी
|