भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
मसख़रा मशहूर है... | हज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:हुल्लड़ मुरादाबादी

मसख़रा मशहूर है आँसू बहाने के लिए
बांटता है वो हँसी सारे ज़माने के लिए

घाव सबको मत दिखाओ लोग छिड़केंगे नमक
आएगा कोई नहीं मरहम लगाने के लिए

देखकर तेरी तरक्की ख़ुश नहीं होगा कोई
लोग मौक़ा ढूंढते हैं काट खाने के लिए

फलसफ़ा कोई नहीं है और न मकसद कोई
लोग कुछ आते जहां में हिनहिनाने के लिए

मिल रहा था भीख में, सिक्का मुझे सम्मान का
मैं नहीं तैयार झुककर उठाने के लिए

-हुल्लड़ मुरादाबादी

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