आगंतुक ने चिढ़कर बड़े बाबू से कहा - "अजीब प्रपंच है! मैं जब भी आता हूं, क्लर्क कहता है-- श्रीमान, अभी ‘लंच' है। समझ नहीं पाता हूं मेरे आने का समय गलत या सही है। क्या आपके यहां लंच का कोई निश्चित समय नहीं है?" उत्तर मिला--" श्रीमान, जब भी कोई आगंतुक ‘लंच' का प्रस्ताव लाता है। हमारे ऑफिस में तुरंत उसी समय ‘लंच' का समय हो जाता है!"
-मधुप पांडेय [मीठी मिर्चियाँ]
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