पर्यावरण बचाना है
धरा को स्वर्ग बनाना है, पर्यावरण बचाना है । गाँव-गाँव हर गली -गली में, हमको वृक्ष लगाना है ।।1।। पेड़-पौधे देते हैं जग को, शीतल छाया और हवा । इसलिए मिल-जुलकर हमको, करना है वृक्षों की सेवा ।।2।। परम हितैषी पेड़ सभी, अब न काटें इसे कभी । मिल-जुलकर अब वृक्षों की, देखभाल करेंगे हम सभी ।।3।। वृक्षारोपड़ करना है, जीवन सुखद बनाना है । प्यारे बच्चों इस दुनियाँ में, पर्यावरण बचाना है ।।4।।
उड़न खटोला
जा रहा था पढ़ने शाला , कंधे पर लटकाकर झोला । ठिठक गया था अजी देखकर , नील गगन में उड़न खटोला ।।1।।
रंग -बिरंगे रंगों से जी । सजा हुआ था उड़न खटोला ।।2।।
तेज गति से सर-सर, सर-सर । उड़ रहा था उड़न खटोला ।।3।।
सचमुच देखा था मैं उस दिन । सपने में इक उड़न खटोला ।।4।।
नाना जी के आँगन में
दाना चुगती,चिड़िया रानी , नाना जी के आँगन में । चिं-चिं,चिं-चिं गाना गाती , नाना जी के आँगन में ।।1।। बड़ी सलोनी है मतवाली , खूब फुदकती डाली-डाली । रंग जमाने को आ जाती , नाना जी के आँगन में ।।2।। नदियाँ-झीलें , ताल-तलैया , खेत-खार में जाती भैया । फिर सुस्ताने को आ जाती , नाना जी के आँगन में ।।3।।
- डॉ.प्रमोद सोनवानी "पुष्प" संपादक- "वनाँचल सृजन" "श्री फूलेंद्र सहित्य निकेतन" तमनार, पड़ीगाँव-रायगढ़ (छ.ग.) भारत
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