जंगल में लहराते हरे पेड़ लगे हुए चांद निकला रोशनी फैलाने के लिए चांद अपनी चांदनी को है दमकाए विरहणी को गहरी नींद से चाैंकाए
खुले आकाश में चांद है छा गया चांद चकोरी से मिलने है आ गया अपनी चांदनी पृथ्वी पर फैला गया बिछड़े साथी की याद दिला गया
आकाश में सूरज, चांद और तारे चमकते रहेगे जहाँ में सांझ सकारे ये हमेश दुनियां को है रोशन करते ये सदा बेखोफ झूमकर जीना है जानते
- सत्यनारायण पंवार 68, गोल्फ कोर्स स्कीम, जोधपुर-342011
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