ओ मानव! तू सोच जरा, क्यों मुझे काटने आया है? मैंने तेरे लिए सदा धरती को स्वर्ग बनाया है ।।
तेरी औ' तेरे लोगों की, किस पापी ने मति मारी है ? निर्मम होकर वृक्ष काटने, का क्रम अब तक जारी है ।
वृक्ष अगर यूँ कटते जायें, धरती बन्जर हो जायेगी । कैसे भूख मिटाएगा तू दुनिया. फिर क्या खायेगी? तेरा जीवन इस धरती पर, एक बोझ बन जायेगा । अभी समय है, अभी सम्भल जा, वरना फिर पछतायेगा ।।
- अंशु शुक्ला [पर्यावरण, दिसंबर १९९४]
|