भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
डॉ. राकेश जोशी की चार ग़ज़लें (काव्य)  Click to print this content  
Author:डॉ. राकेश जोशी

जो दिया तुमने वो सब सहना पड़ा
पत्थरों के शहर में रहना पड़ा

दौर ऐसे भी कठिन आए हैं जब
दोस्तों को बेवफा कहना पड़ा

हम थे ऊंचे और शहर बौनों का था
जब कहा बौनों ने झुक, झुकना पड़ा

तुमको औरों से नहीं फुर्सत मिली
हमको खुद से ही सदा लड़ना पड़ा

हमने सच को सच कहा था इसलिए
हर सफ़र तनहा हमें करना पड़ा

हम मिटें, तुम चाहते हो, सोच, अपना
नाम पानी पर हमें लिखना पड़ा

क्या बताएँ किसलिए ‘राकेश' को
बारहा जीना पड़ा, मरना पड़ा


2

हर सफ़र में सफ़र की बातें हैं
चंद सपने हैं, घर की बातें हैं

एक दरिया है आरज़ूओं का
बेवफा हमसफ़र की बातें हैं

हर ख़बर की ख़बर जो रखता था
आज उस बे-ख़बर की बातें हैं

एक चिड़िया सभी के मन में है
इसलिए उसके पर की बातें हैं

आज जो सबके दिल में रहता है
बस उसी एक डर की बातें हैं

गाँव से तुमने लिख के भेजा है
गाँव में भी शहर की बातें हैं


3

बंद जबसे कारखाने हो गए
भूख के बच्चे सयाने हो गए

प्यार की मुरझा गईं सब पत्तियां
याद के चेहरे पुराने हो गए

ख़त में तुमको ही पढ़ा करते थे हम
अब तो उसको भी ज़माने हो गए

ज़िन्दगी को चार दिन की कह गए
पर कठिन दो दिन बिताने हो गए

आग जंगल में लगाई किसलिए
सहमे-सहमे- आशियाने हो गए


4

हर दर-ब-दर की बात कर
फिर अपने घर की बात कर

सुख के फ़साने मत सुना
दर्द-ए-जिगर की बात कर

मैं थक गया, मैं रुक गया
मुझसे सफ़र की बात कर

सबकी सुनाकर खैरियत
उस बे-ख़बर की बात कर

तू उम्र भर की छोड़ दे
बस रात-भर की बात कर

- राकेश जोशी
  ई-मेल : joshirpg@gmail.com


अंग्रेजी साहित्य में एम. ए., एम. फ़िल., डी. फ़िल. डॉ. राकेश जोशी मूलतः राजकीय महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेजी साहित्य के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

इससे पूर्व वे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार में हिंदी अनुवादक के पद पर मुंबई में कार्यरत रहे। मुंबई में ही उन्होंने थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया। उनकी कविताएँ अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं। उनकी एक काव्य-पुस्तिका "कुछ बातें कविताओं में", एक ग़ज़ल संग्रह "पत्थरों के शहर में", तथा हिंदी से अंग्रेजी में अनूदित एक पुस्तक "द क्राउड बेअर्स विटनेस" अब तक प्रकाशित हुई है।

 

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