मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
आंखों में उसका चेहरा है | ग़ज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:डा भावना

आंखों में उसका चेहरा है
पर पलकों पर सख्त पहरा है

चांदनी पास कैसे आयेगी
चांद परदेश में जो ठहरा है

वह ताउम्र सोचता ही रहा
जख्म उसका कितना गहरा है

आरजू फूल की थी तो मगर
वहां तो सहरा-दर-सहरा है

उसकी आवाज की असर ऐसी
खुदा धरती पर आज उतरा है

- डा भावना

ई-मेल:  bhavnakumari52@gmail.com

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