कही गुब्बारे सिर पर फूटे पिचकारी से रंग है छूटे हवा में उड़ते रंग कहीं पर घोट रहे सब भंग!
बुरा ना मानो होली है हाँ जी, हाँ जी, होली है कर रहे बूढ़े-बच्चे तंग बताओ कैसा है ये ढंग?
भाग रहा है आज कन्हैया नहीं बचा पाएगी मैय्या गोपियां जीत जाएंगी जंग मलेंगी जी भर उसको रंग !
कहीं पीट रहे आज गोपाला बुरा पड़ा गोरी से पाला रो रहे देख के सभी मलंग दूर कहीं बाज रही मृदंग !
गली-गली में हुई ठिठोली आई होली, आई होली मचा अब मस्ती का हुडदंग आओ होली खेलें संग ! हो आओ होली खेलें संग !!
- रोहित कुमार 'हैप्पी' |