मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
अपने देशवासियों के नाम (काव्य)  Click to print this content  
Author:बजरंग वर्मा

आओ,

हम सब अब

हिंदुस्तानी ही रह जाएं ।

 

पहले एक साथ चलकर समंदर में,

अपनी अपनी जातियाँ धो आएं,

और,

तोड़ दें अपने अपने प्राँतों की सीमाएं

जिससे

बंगाली, गुजराती, मराठी, मद्रासी आदि

हमारी सारी संज्ञाएं मिट जाएं

और

हम सब केवल हिंदुस्तानी ही रह जाएं ।

 

हममें हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई भी अब

कोई न रहे ।

हममें हर आदमी अपना धर्म

अब बस एक ही कहे।

बस एक ही मंदिर हो हमारा

-यह देश,

चाहो तो उसे

मस्जिद कहो, गिरजा या गुरुद्वारा,

जिसकी रक्षा में हम जिए और मर जाएं ।

आओ हम सब केवल हिंदुस्तानी ही रह जाएं ।

पहले एक साथ चलकर समंदर में,

अपनी अपनी जातियाँ धो आएं।

-बजरंग वर्मा

 

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