मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
कुछ सुन रहा था | कविता (काव्य)  Click to print this content  
Author:अरविंद सैन

कुछ सुन रहा था
लगा कुछ खनक रहा था
पर विश्वास था
कि आडे आ रहा था
जुनून था
कि अपने होने का अहसास करा रहा था

आंखे देख नही पा रही थी
कि धुंध हटने क नाम नही थी
इन्ही सब के बीच थी
जिन्दगी मेरी
जो मुझ से कुछ कह रही थी

- अरविंद सैन

 

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