भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया | ग़ज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:सूबे सिंह सुजान

तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया
मैंने भी तेरे वास्ते सर को झुका दिया

सबका भला करो,इसी में अपना है भला
जीवन में आगे आएगा सबके लिया दिया

हम प्रेम प्रेम प्रेम करें, प्रेम प्रेम प्रेम
कटु सत्य, प्रेम ने हमें मानव बना दिया

हम क्रोध में उलझते रहे दोस्तो परन्तु
परमात्मा ने प्रेम हमें सर्वथा दिया

वो व्यस्त हैं गुलाब दिवस को मनाने में,
देखो गुलाब प्रेम में मुझको भुला दिया

- सूबे सिंह सुजान
subesujan21@gmail.com
मोबाईल न. 09416334841

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