हटाओ धूल ये रिश्ते संभाल कर रक्खो, पुराना दूध है फिर से उबाल कर रक्खो। वक़्त की सीढ़ियों पे उम्र तेज़ चलती है, जवां रहोगे कोई शौक़ पाल कर रक्खो। ये दोस्ती औ' दुश्मनी का मसहला है जनाब, कसौटियों पे कसो देख भाल कर रक्खो। दबाओ होंठ में, उंगली पे बाँध लो चाहे , मैं आँचल हूँ, मुझे सीने पे डाल कर रक्खो। कभी तो दिल की सुनो ये कहाँ ज़रूरी है, हरेक बात को लफ़्ज़ों में ढाल कर रक्खो। मैं आसमां में एक चाँद टांक आया हूँ , चलो तारा कोई तुम भी उछाल कर रक्खो।
- अखिलेश कृष्णवंशी
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