क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
बीता पचपन | गीत (काव्य)  Click to print this content  
Author:क्षेत्रपाल शर्मा

बीता पचपन, ऐसा मेल।
गुड्डा गुड्डी का जस खेल॥
खन रूठे, खन मानमनौवल,
गली मुहल्ला ठेलमठेल॥

ये मेरा हो, वो मेरा हो
इसमें सारा समय गंवाया।
सांझ हुई, तब चेतन आया,
जग मिथ्या, यह समझ न पाया॥

नया घरौंदा, नयी बात है,
आओ लोगों से कुछ सीखें।
रहो साथ, जो आग बुझाएं,
न उनके, जो बुझी, लगाएं॥

पूछे, देना नेक सलाह,
अमर रहोगे, ये है राह।
पैरों में धरती लिए
आंखों में आकाश,
रहो तैरते, मणि सदृश
इंद्रधनुष के पास॥

-क्षेत्रपाल शर्मा
ई-मेल : kpsharma05@gmail.com
संपर्क : 19/17, शान्तिपुरम
सासनी गेट आगरा रोड़, अलीगढ़ 202001

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