क्यों निस दिन आँख बरसती है, नागिन सी मन को डसती है !
मन हौले हौले रोता है, जब दुनिया मुझ पर हँसती है !
बसते हैं आँखों में आँसू, मन आशाओं की बस्ती है !
जाँ देकर उनकी याद मिली, इन दामों कितनी सस्ती है !
पी छिपकर बैठे हैं मन में, दर्शन को आँख तरसती है !
दुनिया अलताफ़ जवानी है, फुलवारी धन कर हँसती हैं !
-अलताफ़ मशहदी |