अर्थी के अर्थ को अगर मानव समझता तो कदाचित् अर्थ का सामर्थ्य समझता।
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एक मुट्ठी में आज है एक मुट्ठी में कल कौन-सी मुट्ठी खोलूँ तू सोचकर बता।
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आदमी की कमर को सड़क मत समझो।
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पाँव के नीच से निकाल गई एक छोटी-सी कीड़ी, बड़ी-सी बात कहकर कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।
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धर्म का संकट संकट का धर्म ऐसा धर्म मुझे नहीं चाहिए।
- नवल बीकानेरी [कागज का घर]
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