रस झरता जीवन में जब हो समरसता
-डॉ. मिथिलेश दीक्षित, भारत
धरती ओढ़े बरफ की चादर सूरज फाड़े
-अनूप भार्गव, अमरीका
बहन दूर ले हाथों में राखी तकती राह
-डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा, जापान
सीना छलनी गोली खाते सिपाही देश हो कोई
-हेमराज सुंदर, मॉरीशस
आंखों में नमी बेगाना लगे घर अम्मा की कमी
-रोहित कुमार 'हैप्पी', न्यूज़ीलैंड
छोटी-सी बात कागज पर उतरी बन हाइकु
-डॉ. शैलजा सक्सेना, कनाडा
कुटिल मन नाबालिग यौवन रोंदता तन
-डॉ. शिप्रा शिल्पी, जर्मनी
मां का दुलार खील और बताशा जीने की आशा
-रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया
हालात ऐसे सत्यमेव जयते कहें तो कैसे
-डॉ. रामनिवास 'मानव', भारत
शिला अहिल्या इंतजार राम का जड़ चेतन
-आशा मोर, ट्रिनिडाड
[साभार : 9 मई 2021 को मनुमुक्त 'मानव' ट्रस्ट द्वारा आयोजित ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय हाइकु-सम्मेलन में पढ़े गए कुछ हाइकु] |