मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
देश-विदेश के हिंदी हाइकु (काव्य)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

रस झरता
जीवन में जब हो
समरसता

-डॉ. मिथिलेश दीक्षित, भारत


धरती ओढ़े
बरफ की चादर
सूरज फाड़े

-अनूप भार्गव, अमरीका


बहन दूर
ले हाथों में राखी
तकती राह

-डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा, जापान

 

सीना छलनी
गोली खाते सिपाही
देश हो कोई

-हेमराज सुंदर, मॉरीशस

 

आंखों में नमी
बेगाना लगे घर
अम्मा की कमी

-रोहित कुमार 'हैप्पी', न्यूज़ीलैंड

 

छोटी-सी बात
कागज पर उतरी
बन हाइकु

-डॉ. शैलजा सक्सेना, कनाडा

 

कुटिल मन
नाबालिग यौवन
रोंदता तन

-डॉ. शिप्रा शिल्पी, जर्मनी

 

मां का दुलार
खील और बताशा
जीने की आशा

-रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया


हालात ऐसे
सत्यमेव जयते
कहें तो कैसे

-डॉ. रामनिवास 'मानव', भारत


शिला अहिल्या
इंतजार राम का
जड़ चेतन

-आशा मोर, ट्रिनिडाड

[साभार : 9 मई 2021 को मनुमुक्त 'मानव' ट्रस्ट द्वारा आयोजित ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय हाइकु-सम्मेलन में पढ़े गए कुछ हाइकु]

Previous Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश