क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
मुल्ला नसरुद्दीन और बादशाह  (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

एक दिन बादशाह ने मुल्ला नसरुद्दीन से कहा, "आज सुबह मैंने अपनी सूरत आईने में देखी। मैं वाकई बदसूरत हूँ। अब कभी आईने में अपना चेहरा नहीं देखूंगा।" 

मुल्ला नसरुद्दीन तुरंत बोले, "आप तो अपनी सूरत एक दिन देखकर ही घबरा गए। मुझे तो दिन-रात देखनी पड़ती है। सोचिए, मेरा क्या हाल होता होगा!"

[मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से]

 

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