क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
मिट्टी की खुशबू (काव्य)  Click to print this content  
Author:डॉ अनीता शर्मा

कोई पूछता है, कौन सा इत्र है?
खुशबू गज़ब की आती है!
तब बीता कल मुस्काता है
इक याद जवां हो जाती है

अपनी धरती छूटी थी जब
जान पर बन आई थी
आँखों में थी गंगा-यमुना
मिट्टी सीस लगाई थी
वह पावन मिट्टी मैं
थोड़ी सी खाकर आयी थी
और थोड़ी सी बाँध पोटली
संग अपने ले आई थी

आ परदेस में वही पोटली
निज मंदिर में सजाई
मूर्ति-स्थापना हुई तो
पोटली-स्थापना भी करवाई
सुबह-शाम जब मंदिर में
ईश्वर को शीश नवाया
उठा पोटली मिट्टी की
माथे से उसे लगाया

मिट्टी भी मिट्टी में घुलके
रंग अजब दिखलाती है
देह से अब मेरी धरती की
महक रेशमी आती है

डॉ अनीता शर्मा
शंघाई(चीन)

 

Previous Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश