मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
ख़ुदा पर है यक़ीं जिसको | ग़ज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:निज़ाम फतेहपुरी

ख़ुदा पर है यक़ीं जिसको कभी दुख मे नहीं रोता
वही बढ़ता है आगे जो जवानी भर नहीं सोता

नहाए कितना भी गीदड़ वो गीदड़ ही रहेगा बस
चमक रहती है जब की शेर अपना मुँह नहीं धोता

सफ़ेदी पर न जा मेरी अभी ताकत पुरानी है
बुढ़ापे में किसी का दिल कभी बूढ़ा नहीं होता

पड़ी हो आग पर गर राख तो बस दूर ही रहना
कि अंगारा कभी अपनी तपिश जल्दी नहीं खोता

"निज़ाम" ऐसा करो कुछ काम दुनिया नाम ले तेरा
वही शायर है अच्छा जो कभी नफ़रत नहीं बोता

निज़ाम फतेहपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपुर
ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
6394332921
9198120525

ई-मेल: babukhan3716@gmail.com

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश