आज दिल की अपने बात कहने दे तू मुझे सफेद रहने दे
ना रंग धर्म का दे, ना जात का ना बेमानी का, ना गुनाह का ना हरा, ना नीला, ना केसरिया क्या रंग होगा इनसाफ़ का? साफ बहने दे पानी, साफ खेत रहने दे। ऐ हिंदुस्तानी, मुझे सफेद रहने दे।
हर हिस्सा मुझे प्यारा, मैं भारत हूँ । हर रंग हो जिसमें, वो इबारत हूँ । मत कर मेरे जिस्मों-रूह के टुकड़े, हर बोली-भाषा में रची कहावत हूँ । सुकून हज़म होता बस, झगड़ो से परहेज़ रहने दे । हर हिन्दुस्तानी मुझे सफेद रहने दे ।
ना बुरके से शृंगार, ना साड़ी , ना सिन्दूर का रंग डार। सफेद पर सब रंग दिखते, बस ‘धब्बे और दाग़'। अपने-अपने तरीके से सजाने को ना लड़, बस हर-एक रहने दे । हर हिन्दुस्तानी मुझे सफेद रहने दे । आज दिल की अपने बात कहने दे , तू मुझे सफेद रहने दे ।
--ज्योति स्वामी "रोशनी" ई-मेल: swamidrjyoti@gmail.com |