[रसखान के एक छंद की ‘पैरोडी' ]
मानुष हौं तौ वहै कवि 'चोंच' बसौ सिटी लंदन के किसी द्वारे। जौ पशु हौं तौ बनों बुलडॉग चलौं चढ़ि ‘कार' में पूछ निकारे। पाहन हौं तौ थिएटर हॉल कौ बैठें जहाँ ‘मिस' पाँव पसारे। जो खग हौं तो बसेरो करौ चढि 'ओक' पै 'टेम्स' नदी के किनारे।
- कवि चोंच
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