रंग गयी ज़मीं फिर से लाल रंग में मिट्टी की महक और ख़ुशबू बढ़ी लहू के संग में। बिछे थे वजूद जब भारत मां की गोद में एक दफा तो डोला होगा उसका मन भी, सोच कितनों की चढ़ेगी और कुर्बानी कब इंसानियत होगी सयानी, कब वो दिन देखना नसीब होगा! 'मैं वापिस आऊंगा, और जल्द ही आऊंगा' ये वादा उनका पूरा होगा।
हर कतरा लहू का कहता है मेरा हिंदुस्तान मुझमें रहता है, गर शक हो तो आके देख लो सौ और उठते हैं जब एक गिरता है।
- निशा मोहन nisha16mohan@gmail.com
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