नेक इरादे चुनौतियां अपार हार न माने
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कैसा ये फर्ज़ देकर मृत्युभोज चुकाता कर्ज़
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टूटती नहीं वहम की दीवार मैले मन की
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होनी चाहिए सहयोग की भावना हर दिल में
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टूट जाते हैं गलतफहमी में गहरे रिश्ते
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हारी जिंदगी बिगड़े माहौल में दरिंदगी से
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बने आफत बढ़ती जनसंख्या बड़ी बीमारी
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ऊँचा होता है कामयाबी का पुल मेहनत से
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कौन छोड़ता साथ भ्रष्टाचार का जेब भरके
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आते सपने जागृत अवस्था में होते हैं सच्चे
- अशोक कुमार ढोरिया ई-मेल: neelam11052014@gmail.com |