मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
दस हाइकु (काव्य)  Click to print this content  
Author:अशोक कुमार ढोरिया

नेक इरादे
चुनौतियां अपार
हार न माने

#

कैसा ये फर्ज़
देकर मृत्युभोज
चुकाता कर्ज़

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टूटती नहीं
वहम की दीवार
मैले मन की

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होनी चाहिए
सहयोग की भावना
हर दिल में

#

टूट जाते हैं
गलतफहमी में
गहरे रिश्ते

#

हारी जिंदगी
बिगड़े माहौल में
दरिंदगी से

#

बने आफत
बढ़ती जनसंख्या
बड़ी बीमारी

#

ऊँचा होता है
कामयाबी का पुल
मेहनत से


#

कौन छोड़ता
साथ भ्रष्टाचार का
जेब भरके

#

आते सपने
जागृत अवस्था में
होते हैं सच्चे

- अशोक कुमार ढोरिया
  ई-मेल: neelam11052014@gmail.com

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