भेड़िए के चंगुल में फंसे मेमने ने कहा-- 'मुझ मासूम को खाने वाले हिम्मत है तो आदमी को खा!'
भेड़िया बोला-- 'अबे! तूने मुझे उल्लू का पट्ठा समझ रखा है क्या?
मैं जैसा हूँ, ठीक हूँ ज्यादा क्रूर नहीं बनना चाहूँगा
मैं आदमी को खाऊँगा तो आदमी ना बन जाऊँगा?
बेटा! तू अभी बच्चा है, अक़्ल का कच्चा है!
अरे! भेड़िया ही तो आजकल आदमी से अच्छा है....!'
-हलीम 'आईना' [ हँसो भी....हँसाओ भी.... सुबोध पब्लिशिंग हाउस, कोटा ]
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