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काव्य |
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है। |
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नया वर्ष - शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |
नया वर्ष कुछ ऐसा हो पिछले बरस न जैसा हो |
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मौन ओढ़े हैं सभी | राजगोपाल सिंह का गीत - राजगोपाल सिंह |
मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियाँ होंगी ज़रूर |
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आज़ादी से पहले के गीत - भारत-दर्शन संकलन |
आज़ादी से पहले के गीतों का संकलन। |
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कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi |
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती |
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दिन अच्छे आने वाले हैं - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही |
जब दुख पर दुख हों झेल रहे, बैरी हों पापड़ बेल रहे, |
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साथी, नया वर्ष आया है! - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
साथी, नया वर्ष आया है! |
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अपना जीवन.... | ग़ज़ल - कुँअर बेचैन |
अपना जीवन निहाल कर लेते |
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कभी कभी खुद से बात करो | कवि प्रदीप की कविता - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो । |
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नववर्ष - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi |
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष |
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हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
मैं जीर्ण-साज बहु छिद्र आज, |
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एक भी आँसू न कर बेकार - रामावतार त्यागी | Ramavtar Tyagi |
एक भी आँसू न कर बेकार - |
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राजगोपाल सिंह | दोहे - राजगोपाल सिंह |
बाबुल अब ना होएगी, बहन भाई में जंग |
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मैंने लिखा कुछ भी नहीं | ग़ज़ल - डॉ सुधेश |
मैंने लिखा कुछ भी नहीं |
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नये बरस में - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
नये बरस में कोई बात नयी चल कर लें |
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दोहे और सोरठे - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय | Bharatendu Harishchandra Biography Hindi |
है इत लाल कपोल ब्रत कठिन प्रेम की चाल। |
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पथ से भटक गया था राम | भजन - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
पथ से भटक गया था राम |
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कब लोगे अवतार हमारी धरती पर - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
फैला है अंधकार हमारी धरती पर |
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राष्ट्रीय गीत | National Song - बंकिम चन्द्र चटर्जी |
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्! |
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धरती बोल उठी - रांगेय राघव |
चला जो आजादी का यह |
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आज़ाद हिंद फौज के कौमी तराने | संकलन - भारत-दर्शन संकलन |
आज़ाद हिंद फौज के क़ौमी तरानों का संकलन। |
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राष्ट्रीय गान - रबींद्रनाथ टैगोर |
राष्ट्र-गान (National Anthem) संवैधानिक तौर पर मान्य होता है और इसे संवैधानिक विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित, 'जन-गण-मन' हमारे देश भारत का राष्ट्र-गान है। किसी भी देश में राष्ट्र-गान का गाया जाना अनिवार्य हो सकता है और उसके असम्मान या अवहेलना पर दंड का विधान भी हो सकता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार यदि कोई व्यक्ति राष्ट्र गान के अवसर पर इसमें सम्मिलित न होकर, केवल आदरपूर्वक मौन खड़ा रहता है तो उसे अवहेलना नहीं कहा जा सकता। भारत में धर्म इत्यादि के आधार पर लोगों को ऐसी छूट दी गई है। |
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कोई फिर कैसे.... | ग़ज़ल - कुँअर बेचैन |
कोई फिर कैसे किसी शख़्स की पहचान करे |
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मैं रहूँ या न रहूँ | ग़ज़ल - राजगोपाल सिंह |
मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा पता रह जाएगा |
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सामने गुलशन नज़र आया | ग़ज़ल - डॉ सुधेश |
सामने गुलशन नज़र आया |
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माँ | सुशांत सुप्रिय की कविता - सुशांत सुप्रिय |
इस धरती पर |
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हे दयालु ईश मेरे दुख मेरे हर लीजिए | भजन - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
हे दयालु ईश मेरे दुख मेरे हर लीजिए |
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नव वर्ष - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
नव वर्ष |
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भजन - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
पथ से भटक गया था राम |
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फिर उठा तलवार - रांगेय राघव |
एक नंगा वृद्ध |
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लौटना | सुशांत सुप्रिय की कविता - सुशांत सुप्रिय |
बरसों बाद लौटा हूँ |
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जी रहे हैं लोग कैसे | ग़ज़ल - उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans |
जी रहे हैं लोग कैसे आज के वातावरण में, |
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उर्मिला - राजेश्वर वशिष्ठ |
टिमटिमाते दियों से |
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बदलीं जो उनकी आँखें - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
बदलीं जो उनकी आँखें, इरादा बदल गया । |
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क़दम-क़दम बढ़ाये जा | अभियान गीत - वंशीधर शुक्ल |
क़दम-क़दम बढ़ाये जा |
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किनारा वह हमसे - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
किनारा वह हमसे किये जा रहे हैं। |
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फैशन | हास्य कविता - कवि चोंच |
कोट, बूट, पतलून बिना सब शान हमारी जाती है, |
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बग़ैर बात कोई | ग़ज़ल - राजगोपाल सिंह |
बग़ैर बात कोई किसका दुख बँटाता है |
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शुभ सुख चैन की बरखा बरसे | क़ौमी तराना - भारत-दर्शन संकलन |
शुभ सुख चैन की बरखा बरसे |
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नैराश्य गीत | हास्य कविता - कवि चोंच |
कार लेकर क्या करूँगा? |
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हम देहली-देहली जाएँगे - मुमताज हुसैन |
हम देहली-देहली जाएँगे |
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सुभाषजी | गीत - मुमताज़ हुसैन |
सुभाष जी |
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उठो सोए भारत के नसीबों को जगा दो - जी.एस. ढिल्लों |
उठो सोए भारत के नसीबों को जगा दो |
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हम भारत की बेटी हैं - अज्ञात |
हम भारत की बेटी हैं, अब उठा चुकीं तलवार |
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आजा़द हिन्द सेना ने जब - कप्तान रामसिंह ठाकुर |
आजा़द हिन्द सेना ने जब |
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आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से | ग़ज़ल - गुलाब खंडेलवाल |
आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से |
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कभी दो क़दम.. | ग़ज़ल - गुलाब खंडेलवाल |
कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके |
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जो दीप बुझ गए हैं - दुष्यंत कुमार |
जो दीप बुझ गए हैं |
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मुबारक हो नया साल - नागार्जुन |
फलाँ-फलाँ इलाके में पड़ा है अकाल |
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नेता जी की शिकायत - प्रवीण शुक्ला |
एक कवि-सम्मेलन में |
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पिंकी - बाबू लाल सैनी |
एक विरोधी पक्ष के नेता गाँव में पधारे, |
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कृष्ण उवाच - बाबू लाल सैनी |
मुझे सब पता है, तुमने राज्य का क्या हाल किया है ? |
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वर्ष नया - अजित कुमार |
कुछ देर अजब पानी बरसा । |
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शुभकामनाएँ - कुमार विकल |
मैं भेजना चाहता हूँ |
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रैदास के दोहे - रैदास | Ravidas |
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। |
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भारतेन्दु की मुकरियां - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय | Bharatendu Harishchandra Biography Hindi |
सब गुरुजन को बुरो बतावै । |
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दोहे | रसखान के दोहे - रसखान | Raskhan |
प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ। |
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उग बबूल आया, चन्दन चला गया | ग़ज़ल - संजय तन्हा |
उग बबूल आया, चन्दन चला गया। |
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प्यार मुझसे है तो - बल्लभेश दिवाकर |
प्यार मुझसे है तो जलना सीख ले! |
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ना जाने मेरी जिंदगी यूँ वीरान क्यूँ है | ग़ज़ल - डा अदिति कैलाश |
ना जाने मेरी जिंदगी यूँ वीरान क्यूँ है |
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यमराज का इस्तीफा - अमित कुमार सिंह |
एक दिन |
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दो ग़ज़लें - प्रगीत कुँअर |
सबने बस एक नज़र भर देखा |
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हम आज भी तुम्हारे... - भारत भूषण |
हम आज भी तुम्हारे तुम आज भी पराये, |
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तुम मेरे आंसू .. - भारत भूषण |
तुम मेरे आंसू की बूंद बनो लेकिन पलकों से बाहर मत आना! |
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न इतने पास आ जाना .. - भारत भूषण |
न इतने पास आ जाना मिलन भी भार हो जाये, |
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रुख से उनके हमें - सुभाष श्याम सहर्ष |
रुख से उनके हमें पर्दा करना ना आया |
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आरती शर्मा की क्षणिकाएँ - आरती शर्मा |
याद आई माँ |
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डॉ रामनिवास मानव के हाइकु - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav |
डॉ. 'मानव' हाइकु, दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ हाइकु यहाँ दिए जा रहे हैं: |
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नारी के उद्गार - सुदर्शन | Sudershan |
'माँ' जब मुझको कहा पुरुष ने, तु्च्छ हो गये देव सभी। |
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शुभेच्छा - लक्ष्मीनारायण मिश्र |
न इच्छा स्वर्ग जाने की नहीं रुपये कमाने की । |
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जयरामजी की - प्रदीप मिश्र |
जयरामजी की
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भिक्षुक | कविता | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
वह आता -- |
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तोड़ती पत्थर : कविता | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
वह तोड़ती पत्थर; |
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यह कवि अपराजेय निराला - राम विलास शर्मा |
यह कवि अपराजेय निराला, |
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एक बरस बीत गया | कविता - अटल बिहारी वाजपेयी | Atal Bihari Vajpayee |
एक बरस बीत गया |
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परिंदे की बेज़ुबानी - डॉ शम्भुनाथ तिवारी |
बड़ी ग़मनाक दिल छूती परिंदे की कहानी है! |
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