अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

नव वर्ष

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan

नव वर्ष
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव।

नव उमंग,
नव तरंग,
जीवन का नव प्रसंग।

नवल चाह,
नवल राह,
जीवन का नव प्रवाह।

गीत नवल,
प्रीति नवल,
जीवन की रीति नवल,
जीवन की नीति नवल,
जीवन की जीत नवल!

- हरिवंश राय बच्चन

[सतरंगिनी]

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