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हार्दिक आभार।
भारत-दर्शन का मई-जून 2025 अंक आपको भेंट।
इस अंक में रबीन्द्रनाथ टैगौर और विष्णु प्रभाकर से संबंधित सामग्री को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।
मई-जून अंक की कहानियों में रबीन्द्रनाथ टैगोर की 'हड्डियों का पिंजर', विष्णु प्रभाकर की 'ठेका', नागार्जुन की 'इनाम', डॉ अमित रंजन की 'समतल मैदान' और दिलीप कुमार की 'बच्चे की कसम' कहानियाँ सम्मिलित की गई हैं।
लघुकथाओं में विष्णु प्रभाकर की 'फ़र्क', कन्हैया लाल मिश्र 'प्रभाकर' की 'आहुति', सआदत हसन मंटो की 'करामात', रामकुमार आत्रेय की 'चुनौती' और डॉ. वंदना मुकेश की 'नाकारा सरकार' शामिल की गई हैं।
लोक-कथाओं में इस बार फीजी की 'सोया हुआ दैत्य' प्रकाशित की गई है।
रोचक के अंतर्गत संसार के सबसे बड़े परिवार को जानिए — 'भारत का सबसे बड़ा परिवार – एक घर, 167 सदस्य'। भारत-दर्शन संकलन से रोचक 'माओरी कहावतें (35-40)' प्रस्तुत की गई हैं।
बाल-साहित्य में अकबर बीरबल की कहानी 'मोती बोने की कला' और पंचतंत्र से 'नीला सियार' को स्थान दिया गया है। बाल-कविता में रबीन्द्रनाथ टैगोर की 'राजा का महल' और नर्मदाप्रसाद खरे की 'तितली' पढ़ें। इस बार शकुंतला अग्रवाल 'शकुन' का बाल एकांकी 'कच्चा घड़ा' भी प्रकाशित किया गया है।
व्यंग्य में नरेन्द्र कोहली का 'देशभक्त' और शरद जोशी का व्यंग्य 'सरकार का जादू : जादू की सरकार' प्रस्तुत हैं।
ग़ज़लों में वसीम बरेलवी की 'ज़रा सा क़तरा कहीं आज गर उभरता है', ज्ञानप्रकाश विवेक की 'किसी के दुख में', डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा' की 'प्रेम देश का', राजगोपाल सिंह की 'मैं रहूँ या न रहूँ' और डॉ सुधेश की 'मैंने लिखा कुछ भी नहीं' शामिल हैं। इनके अतिरिक्त मुन्नवर राना के 'अश़आर' पठनीय हैं।
कविताओं में महावीर प्रसाद द्विवेदी की, 'प्यारा वतन', गयाप्रसाद शुक्ल सनेही की कविता, 'स्वदेश', रबीन्द्रनाथ टैगोर की, 'विपदाओं से मुझे बचाओ, यह न प्रार्थना', विष्णु प्रभाकर की, 'एक छलावा', कवि प्रदीप की कविता, 'कभी कभी खुद से बात करो ', सुमित्रानंदन पंत की, 'सुख-दुख', ओमप्रकाश वाल्मीकि की, 'ठाकुर का कुआँ; 'जगदीश व्योम की, 'माँ', शिवनारायण जौहरी विमल की, 'युद्ध जारी है', रामावतार त्यागी की, 'मैं दिल्ली हूँ', ब्रजभूषण भट्ट की, 'आम आदमी', सपना सिंह (सोनश्री) की, 'आज भी खड़ी वो...', और डॉ मुल्ला आदम अली की, 'रुदन करता पेड़', सम्मिलित की गई हैं। इनके अतिरिक्त रसखान की पदावलियाँ, मीरा का भजन, 'मेरो दरद न जाणै कोय' और कबीर के दोहे पढ़ें।
हास्य कविताओं में गोपालप्रसाद व्यास की हास्य कविता, 'आराम करो', और शैल चतुर्वेदी की 'टूट गयी खटिया' पढ़ें।
आलेखों में तड़ित मुखर्जी का, 'टैगोर - कवि, गीतकार, दार्शनिक, कलाकार और शिक्षा विशारद', निखिल भट्टाचार्य का, 'महान संत गुरूदेव टैगोर और महान आत्मा महात्मा गांधी', और डॉ० राधेश्याम द्विवेदी का, 'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस' पठनीय हैं।
पुस्तक समीक्षा में आराधना झा श्रीवास्तव के काव्य-संग्रह, 'भारत मुझमें बसता है' की समीक्षा पढ़ें।
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