कोरे कागज को रंगीन कर दे।
ये सिर्फ कवि का काम होता है॥
लफ़्ज़ों से महफ़िल सजाना हो।
ये सब के वश में कहाँ होता है॥
कल्पनाओं का अथाह खजाना।
केवल कवि के ही पास होता है॥
सजीव चित्रण करता है कवि।
उसे प्रकृति से भी प्रेम होता है॥
विसंगतियों से रूबरू करवाना।
कवि का असली काम होता है॥
बातों ही बातों में हास्य खोजना।
इस कला में माहिर कवि होता है॥
घण्टों साधना करता है कवि देखो।
तभी उसे छन्द का ज्ञान होता है॥
तुलसी रसखान मीरा सा साहसी।
कवि के अलावा यहाँ कौन होता है॥
-कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी
ई-मेल : 123rkpurohit@gmail.com