लाम पर गई है पलटन
बैरकें सूनी पड़ी हैं
निर्भ्रान्‍त और इत्‍मीनान से
सड़क पार कर रही बंदरों की एक डार

एक शैतान शिशु बंदर
चकल्‍लस में बार-बार
अपनी माँ की पीठ पर बैठा जा रहा
डाँट भी खा रहा बार-बार

छावनी एक साथ कितनी निरापद
और कितनी असहाय
अपने सैनिकों के बगैर

- वीरेन डंगवाल
[ साभार - हिन्दी समय]