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प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava | Profile & Collections
आपका जन्म 4 अगस्त 1944, धरमपुरा दमोह, मध्य प्रदेश में हुआ। आप कहानी, कविता, बाल-साहित्य, व्यंग्य इत्यादि विधाओं में साहित्य-सृजन करते हैं। आपको 'भारती रत्न', 'भारती भूषण सम्मान', 'श्रीमती सरस्वती सिंह स्मृति सम्मान', 'लाइफ एचीवमेंट एवार्ड', 'हिंदी सेवी सम्मान', 'व्यंग्य वैभव सम्मान' मिले हैं।
बाल साहित्य में विशेष रूचि अब तक लगभग 80 स्कूली (पाठ्यक्रम) किताबों में बाल कवितायेँ, कहानियां एवं बाल एकांकी शामिल
साहित्य कृतियाँ
-दूसरी लाइन (व्यंग्य संग्रह) शैवाल प्रकाशन, गोरखपुर से प्रकाशित
-बचपन गीत सुनाता चल (बाल गीत संग्रह) बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र, भोपाल से प्रकाशित
-बचपन छलके छल-छल-छल (बाल गीत संग्रह) बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र, भोपाल से प्रकाशित
-दादाजी का पिद्दू बाल कहानी संग्रह (22 बाल कहानियाँ) रवीना प्रकाशन, दिल्ल
-अम्मा को अब भी है याद (बाल कविता संग्रह) 51 बाल कवितायेँ रवीना प्रकाशन, दिल्ली
-मुठ्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह ) 121 बाल कवितायेँ रवीना प्रकाशन, दिल्ली
-सतपुड़ा सप्तक साझा संकलन (सात कवियों की कवितायें) बोधि प्रकाशन, जयपुर
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava's Collection
Total Records: 9
अम्मू भाई का छक्का
"दादाजी मैं छक्का मारूँगा," अम्मू भाई ने क्रिकेट बैट लहराते हुये मुझसे कहा। वह एक हाथ में बाल लिये था, बोला, "प्लीज़ बाँलिंग करो न दादाजी।"
दद्दू का पिद्दू
गोटिया और लूसी के दादाजी का नाम मस्त राम है। नाम के अनुरूप वह हमेशा मस्त ही रहते हैं। व्यर्थ की चिंताओं को पाल कर रखना उनकी आदतों में शुमार नहीं है ।अगर भूले भटके कोई चिंता आ ही गई तो उसे वह सांप की केंचुली की तरह उतार फेंकते हैं। चिंता भी अकसर उनसे दूर ही रहती है। वह जानती है कि यह मस्त राम नाम प्राणी उसे अपने पास टिकने नहीं देगा ।इसलिए उसके पास जाने से क्या लाभ ।और वह दूसरे ठिकाने तलाशने निकल जाती है।
हिंदी में | कविता
लेख लिखा मैंने हिंदी में,लिखी कहानी हिंदी मेंलंदन से वापस आकर फिर,बोली नानी हिंदी में।
मछली की समझाइश
मेंढक बोला चलो सड़क पर,जोरों से टर्रायें। बादल सोया ओढ़ तानकर, उसको शीघ्र जगायें।
मीठी वाणी
छत पर आकर बैठा कौवा,कांव-कांव चिल्लाया|मुन्नी को यह स्वर ना भाया,पत्थर मार भगाया|तभी वहां पर कोयल आई,कुहू कुहू चिल्लाई|उसकी प्यारी प्यारी बोली,मुनिया के मन भाई|मुन्नी बोली प्यारी कोयल,रहो हमारे घर में|शक्कर से भी ज्यादा मीठा,स्वाद तुम्हारे स्वर में|मीठी बोली वाणी वाले,सबको सदा सुहाते|कर्कश कड़े बोल वाले कब,दुनिया को हैं भाते|
बूंदों की चौपाल
हरे- हरे पत्तों पर बैठे,हैं मोती के लाल।बूंदों की चौपाल सजी है,बूंदों की चौपाल।