दाल भात रोटी मिलती तो, छन्नू नाक चढ़ाते। पूड़ी परांठे रोज रोज ही, मम्मी से बनवाते।
हुआ दर्द जब पेट,रात को, तड़फ तड़फ चिल्लाये। बड़े डॉक्टर ने इंजेक्शन, आकर चार लगाये।
छन्नूजी अब दाल भात या, रोटी ही खाते हैं। पूड़ी परांठे दिए किसी ने, गुस्सा हो जाते हैं।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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